डिविडेंड या ग्रोथ
निवेशक पर निर्भर करता है कि वह ग्रोथ को चुनें या डिविडेंड विकल्प। पहले विकल्प में लाभांश (डिविडेंड) को पुन: फंड में निवेश किया जाता है, जिसके बाद में लाभांश का भुगतान किया जाता है।
झवेरी का कहना है, कोई निवेशक है, जो मात्र कर बचाने के लिए पैसे लगा रहा है तो उसे डिविडेंड विकल्प का चयन करना चाहिए। निवेशक की सच्चाई यह है कि उसकी आय काफी अच्छी है।
वे 1 लाख रुपये का निवेश पूरी आत्मीयता के साथ धारा 80सी के तहत करते हैं और बाद में उन्हें अपनी पूंजी का कुछ हिस्सा कर-मुक्त लाभांश के तौर पर प्राप्त होता है।
कई बार एजेंटों और ब्रोकरों द्वारा निवेशकों को लाभांश घोषित होने के दो-तीन महीने पहले ईएलएसएस में निवेश करने के लिए उत्साहित किया जाता है।
जिससे उन्हें कर-मुक्त लाभांश मिलने में सहायता मिलती है और साथ ही उन परिस्थितियों में पूंजी का कुछ हिस्सा अर्जित करने में मदद मिलती है जहां निवेश तीन वर्षों के लिए पूरी तरह लॉक-इन हो चुका है।
झवेरी ने आगे बताया, कुछ ब्रोकर अधिक कमीशन पाने की लालच में निवेशकों को अन्य इक्विटी-डाइवर्सिफाइड फंड में निवेश करने की सलाह देते हैं। लेकिन झवेरी का मानना है कि कई बार ऐसा ब्रोकरों द्वारा मुनाफा कमाने की लालच में किया जाता है।